पृथ्वीराज चौहान

लाॅकडाउन की इस लम्बी अवधि में देश ऐसे अनेक विभुतियों को उनकी गरिमा प्रतिष्ठा के अनुरूप श्रद्धा समर्पण का अवसर प्राप्त नही ंकर सका। 50 55 दिनों के इस अंतराल मे ंहम उन विभुतियों को उचित ढंग से नमन नही ंकर सके जो अपनी प्रतिभा से देश के सम्मान और राष्ट्रीय गौरव को सींचते रहंे हैं। उनमें श्रीमदआदिशंकराचार्य से लेकर पृथ्वीराज चैहान तक के नाम शामिल हंै। पृथ्वीराज चैहान जिनका आज प्रादुर्भाव दिवस है। इतिहास के एक ऐसे व्यक्ति है जिनको अंग्रेजों का लिखा हुआ भारतीय इतिहास वह गौरवपूर्ण स्थान नहीं दे सका जिसके वह हकदार थे। यह अन्याय मात्र श्री पृथ्वीराज चैहान के साथ ही नहीं अपितु छत्रपति शिवाजी और महाराणाप्रताप जी के साथ भी हुआ। भारतीय गौरवशाली इतिहास जब अंग्रेजों की दृष्टि में आया तो वह डर गये और उनका आत्मविश्वास हिल गया उसके पहले वह स्वयं को विश्व का सबसे शक्तिशाली योद्धा और पराक्रमी शासक मानकर चल रहे थे, लेकिन जब घास की रोटियां खा कर भी अपने स्वाभिमान से समझौता न करने वाले महाराणाप्रताप और गौरी जैसे क्रूर आक्रान्ता के अमानवीय व्यवहार से भारत के शिखर पुरूष पृथ्वीराज चैहान को विचलित नही ंकर सके। अंग्रेजांे को लगा कि इस देश की वर्तमान और आने वाली पीढ़ी इन प्रतापी पुरूषों से प्रेरणा लेती रही तो इस देश में हमारा शासन सम्भव नहीं होगा। इसलिये उन्होंने न केवल देश के इतिहास को विकृत किया अपितु शिक्षा की पवित्र गंगा में इन महान पुरूषों के सम्बन्ध में ओछी बातंे लिखकर जहर घोलने का काम किया। वह समझते थे कि इतिहास बदल देने से इस देश की आस्था बदल जायेगी। वह नहीं समझ सके कि यह देश व्यवस्था के इतिहास में नहीं आस्था के इतिहास में विश्वास करता है भले ही सरकारी वेतन भोगी चाटुकार इतिहासकारों ने इन पूज्य पुरूषों का चरित्र हनन किया हो लेकिन देश की आस्था के गायक जन कवियों ने इन पूज्य पुरूषों को अपनी रचनाओं में सलीके से सम्हाल कर रखा। तुलसी के राम हों या चन्द्रबरदाई के पृथ्वीराज। यह उन्हीं जन कवियों ने इन जननायकों को जन साधारण तक पहुंचाने का काम किया। देश की वर्तमान पीढ़ी आज भी गौरी की क्रूरता की जहां भर्तसना करता है वहीं पृथ्वीराज के पराक्रम की प्रशंसा यह दूसरी बात है कि जहां इस देश के सम्मान और संस्कृति को अपने संघर्षों से इन पूज्य पुरूषों ने समृद्ध किया वहीं जयचंद जैसे लोग भी थे जो इस हिन्दू क्षितिज के सूर्य के राहू बने लेकिन अनेक दुरभिसंधियों से गुजरता राष्ट्रीय स्वाभिमान कायम रहा और रहेगा। पृथ्वीराज चाहते तो गौरी से हाथ मिला सकते थे लेकिन गौरी के क्रूर कर्मो की सजा उसे उसके राज सिंहासन पर ही चंद्रबरदाई के एक इशारे पर दे दिया था। घटना बड़ी रोचक है कहते है कि पृथ्वीराज चैहान को शब्दभेदी बाण चलाने की कला हासिल थी और वह आंख में पट्टी बांध कर भी अपने निशाने पर अचूक बार करने में कुशल थे। जब पृथ्वीराज को बंदी बनाकर गौरी के दरवार में लाया गया तो उस समय के सहासी जनकवि चन्द्रबरदाई दरवार में मौजूद थे चन्द्रबरदाई ने गौरी से चैहान की इस कला का उल्लेख किया गौरी ने कहा मैं देखना चाहता हूं और भरे दरवार पृथ्वीराज की आंख में पट्टी बांधी गयी और उन्हंे निशाना साधने के लिये कहा गया ऊँचे सिंहासन पर बैठे गौरी को लक्ष्य बनाकर बाण चलाने का संकेत चंद्ररबरदाई ने किया ‘‘चार हाथ चैबीस गंज अंगुल अष्ट प्रमाण तेते पर सुल्तान है मत चुके चैहान’’ और पृथ्वीराज के शब्द भेदी बाण से गौरी अपने दरवार में मारा गया ऐसी अनेक घटनाये पृथ्वीराज चैहान के क्रान्तीकारी इतिहास से जुड़ी हुई हैं कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता पृथ्वीराज को चाहती थी लेकिन जयचन्द नहीं चाहता था पिता की अवहेलना कर स्वयंवर में जब संयोगिता ने पृथ्वीराज का वरण किया तो जयचंद इसे सहन नही ंकर सका और वह उनका जानी दुश्मन बन गया चन्द्रबरदाई ने जयचंद को समझाते हुये कहा था कि तुम्हारी यह व्यक्तिगत शत्रुता हिन्दुस्तान के लिये घातक होगी क्योंकि पृथ्वीराज ही एक ऐसी मजबूत दीवार है जिसे दुनिया की कोई ताकत तोड़ नहीं सकती यदि वह टूटी तो देश को गुलामी से नहीं बचाया जा सकता लेकिन जयचंद को तो बदला लेना ही था और वह गौरी से मिलकर पृथ्वीराज के विरूद्ध विदेशी षड़यंत्र का हिस्सा बन गया।
यही कुछ आज भी देखने को मिल रहा है जब श्री नरेन्द्र मोदी और श्री योगी आदित्यनाथ पृथ्वीराज और महाराणाप्रताप की तरह देश के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं और विश्व उनके पराक्रम से प्रभावित है। तब विदेशी नशल की कुछ गौरी और गजनवी की औलाद राष्ट्रीय स्वाभिमान के बढ़ते कदम को बरदास्त नहीं कर पा रहें हैं और जिनकी भुजाओं में शिवा, राणा और चैहान के रक्त आज भी मौजूद हैं उनको हतोउत्साहित करने का कोई अवसर नहीं चूक रहें हंै लेकिन इन्हें समझ लेना चाहिये कि शिवा राणा और चैहान की सख्सियत आज भी श्री नरेन्द्र मोदी और योगी के रूप में मौजूद है, जो जयचंदों के लाख कोसिसों के बावजूद राष्ट्र के सम्मान और स्वाभिमान को विश्व के विचार गगन में सूर्य की तरह चमका रहंे हैं । हिन्दू शक्ति और स्वाभिमान के प्रतीक पूज्य पुरूष श्री पृथ्वीराज चैहान को आज उनके जन्मदिवस पर प्रणाम