शिक्षा का भविष्य

अब जब सभी माध्यमिक परीक्षाओं के परिणाम आ चुके हंै तब एक बड़ी समस्या आज अभिभावकों छात्रों के सामने है वह है प्रवेश की समस्या हजारों छात्र और अभिभावक समझ नहीं पा रहें कि हमारी शिक्षा का भविष्य क्या होगा वह चाहें उच्च कक्षाओं में प्रवेश का प्रश्न हो अथवा विभिन्न व्यवसायिक और तकनीकी पाठयक्रमों में प्रवेश आदि का सवाल न तो किसी प्रतियोगी परीक्षा का विज्ञापन निकलता है और न कहीं प्रवेश के लिये अपेक्षित टेस्ट आदि की जानकारी। अभी तक किसी विश्वविद्यालय अथवा टेकनिकल इंस्टिट्यूट ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश आॅनलाइन होगा या आॅफलाइन और वह भी कब से शुरू होगा कुछ पता नहीं है। एक असमंजस उन पढ़ने वाले छात्रों के दिमाग में है जो अपने कैरियर के लिये किसी अच्छे इंस्टिट्यूट, विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थान की तलाश में रहते पहले तो विभिन्न शिक्षा संस्थानों के द्वारा समाचार पत्रों में प्रवेश के लिये विज्ञापन दिये जाते रहे है सभी संस्थान अपने संसाधनों और सुविधाओं की चर्चा करके विज्ञापनों के माध्यम से अपने यहां अधिक से अधिक प्रवेश की कोशिस करते थे लेकिन इस बार तो अजीब सन्नाटा है न कहीं प्रवेश परीक्षा हो रही है और न उसके लिये अपेक्षित जानकारियां ही मिल रहीं हैं। जुलाई अगस्त प्रायः उच्च कक्षाओं और व्यवसायिक पाठयक्रमों के प्रवेश का होता है लेकिन माध्यमिक परीक्षा का अंक पत्र लिये विद्यार्थी भटक रहा है सरकार और विभिन्न शैक्षिक संस्थायें कोरोना से इतना भयभीत हैं कि वह तय नहीं कर पा रहे है कि प्रवेश कब लेंगे और कक्षायें कबसे और कैसे शुरू करंेगे ऐसी स्थिति में हम शुकदेवानन्द महाविद्यालय के लोग इस संकट के समाधान की दृष्टि से कुछ आवश्यक कदम उठाने पर विचार कर रहें हैं हम अपने पंचवर्षीय विधि पाठयक्रमों में अनौपचारिक प्रवेश की प्रक्रिया प्रारम्भ कर सकते हैं। जिसमें छात्र अपना पंजीकरण करा सकते हैं और अन्य औपचारिकतायें विश्वविद्यालय द्वारा प्रवेश की तिथि घोषित होने के बाद की जा सकतीं हैं क्योंकि शिक्षा की तलाश में भटकती तरूणाई किसी गलत दिशा में न भटक जाये इसकी चिंता शिक्षा से जुडे़ हुये लोगों में हो रही है ।
मैं शासन और विश्वविद्यालय प्रशासन से विनम्र अनुरोध करते हुये उनसे अपेक्षा करेंगे कि वह प्रवेश के मामले में अपने अधिनस्थ विद्यालयों और शिक्षा संस्थाओं को छात्रों की इस चिंता से मुक्ति के लिये सामयिक प्रयास की अनुमति प्रदान करें और शिक्षा संस्थाओं के द्वारा विश्वविद्यालय की प्रवेश तिथि घोषित होने के बाद उन छात्रों का प्रवेश स्वीकार करें जो विभिन्न शिक्षा संस्थाओं और महाविद्यालयों में अपना अनौपचारिक पंजीकरण करा चुके हैं अनेक विश्वविद्यालय विभिन्न पाठयक्रमों में प्रवेश परीक्षाओं का आयोजन करतंे हंै और उनमें उत्तीर्ण छात्रों को ही प्रवेश की अनुमति देते हैं। मैं समझता हूँ इस वर्ष प्रवेश विशुद्ध रूप से माध्यमिक कक्षाओं मे ंप्राप्त अंको पर आधारित मेरिट से होने चाहिये और महाविद्यालयों को अधिकृत किया जाना चाहिये के अपने यहां पंजीकृत छात्रों की मेरिट बनाकर स्वीकृत सीटों को भरे। मुझे विश्वास है कि इन समस्याओं पर शासन और शिक्षा क्षेत्र के विभिन्न नियामक संस्थायें अवश्य विचार करेंगे।