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स्वाधीनता का अर्थ

19 Oct, 2015 भारत एक स्वाधीन राष्ट्र है आज उसके स्वाधीनता के ६५ वर्ष पूरे हो गये है और ६६ वें वर्ष प्रारम्भ हो रहा है स्वाधीनता संघर्ष में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को आज देश नमन कर रहा है जिन्होंनें अपने प्राण हथेली पर रख कर मातृभूमि की स्वाधीनता के लिये स्वयं का बलिदान किया उनके कुछ सपने थे हम... more

असम की हिंसा और बोडो जनजाति

19 Oct, 2015 आज भारत के दक्षिणी राज्यों में निवास कर रहे पूर्वोत्तर राज्यों के लोग भयभीत है, डरे है उन पर नियोजित ढंग से एक संप्रदाय विशेष के लोगों द्वारा हमले हो रहे है और उन्हें उन राज्यों से निकलने के लिये मजबूर किया जा रहा है। जब कि असम में चल रहे नरसंहार से न तो उनका कोई लेना देना है और न ही वह असम की... more

प्रधानमंत्री पद का उचित दावेदार

19 Oct, 2015 आडवाणी जी ने आज अपने एक बयान में जो सम्भवता उन्होंने अपने जन्म दिवस पर सोच समझ कर दिया हो स्वयं को प्रधानमंत्री की दावेदारी से अलग कर लिया वैसे ी लोकतंत्र में पद की अपेक्षा तो की जा सकती है, लेकिन दावेदारी का सवाल तब उठता है जब उसे बहुमत प्राप्त हो चुनाव पूर्व इस ् प्रकार की घोषणा निश्चित ही उस... more

अमृत की लालसा

19 Oct, 2015 भारत एक आध्यात्मिक देश है यहां की प्रत्येक परम्परा की पृष्ठभूमि, आध्यात्मिक सोच और संस्कार से जुड़ी हुई है। कोई भी ऐसा पर्व और त्योहार नहीं है जिसके पीछे कोई आध्यात्मिक घटना अथवा गाथा न हो वैसे भी मनुष्य के एक सामाजिक प्राणी होने के नाते आपस में मिलने जुलने और एक साथ रह कर किसी उद्देश्य विशेष के... more

शिक्षा में गुणवत्ता की जिम्मेवारी

19 Oct, 2015 कल आई०आई०एम० हल्द्वानी के दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुये देश के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी जी ने देश की उच्च शिक्ष्ा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की उन्होंने छात्रों को ध्यान आकर्षित करते हुये यह दुख व्यक्त किया कि आज विश्व के उन २०० विश्वविद्‍यालयों की सूची में भारत का नाम नहीं है, जो उच्च... more

मोदी के नेतृत्व में भारत विश्वगुरू बनने को तैयार है

19 Oct, 2015 121 वर्षों के बाद भारत की प्रतिभा का अहसास विश्‍व को एक बार पुनः हुआ जब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने संयुक्‍तराष्ट्र महासभा और मेडिसेन स्क्वायर गार्डेन में जुटे हजारों हजार लोगों को संबोधित किया। लोगों को ऐसा लगा कि भारत का वह आध्‍यात्‍मिक वैभव कायम है, जो वर्षों पूर्व विवेकानंद के... more

शब्द ब्रह्म है

19 Oct, 2015 अभिव्यक्ति की स्वाधीनता व्यक्ति को जिम्मेवार बनाती है क्योंकि तमाम जीवों में अपनी बात कहने के लिए शब्दों की शक्ति केवल मनुष्य के पास है, शब्द की इस अमोघ शक्ति का प्रयोग केवल और केवल मनुष्य ही कर सकता है। दुनिया के तमाम प्राणियों यहां तक की देवताओं के पास भी शब्द की यह शक्ति नहीं है, वे अपनी बात... more